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आज के आधुनिक समय में, जब विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी अपनी चरम पर हैं और इंटरनेट जैसे साधनों ने विश्व के एक छोर को दूसरे  से जोड़ दिया है, भारत के कई गावों में महिलाएँ आज भी उत्पीड़न और शोषण का शिकार हैं. उन्हे आगे बढ़ने के लिए कई सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

इस बात को ध्यान में रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर, रेडियो मधुबन ने आबू रोड और आस पास के गाँवो की महिलाओं के लिए १-१० मार्च २०१३ तक, १० दिवसीय सशक्तिकरण अभियान का आयोजन किया. इसके अंतर्गत कई गाँवो
में कार्यक्रम आयोजित किए गये.

जहाँ १ मार्च को गाँधीनगर, आबू रोड की घरेलू महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से परिचित कराया गया, वहीं २ मार्च को 'व्यसन मुक्त परिवार का निर्माण कैसे करें', इस पर मोरथला की महिलाओं के साथ चर्चा की गई. ४ मार्च को 'इस समाज मे महिलाओं की विभिन्न भूमिकाओं' को सराहते हुए, माउंट आबू के ब्लाइंड स्कूल में एक रोचक कार्यक्रम का आयोजन हुआ.  इसके साथ ८ मार्च को मोरथला मे सभी ने साक्षरता एंव शिक्षा के महत्व को जाना.

  

 इसके अतिरिक्त, रेडियो मधुबन ने प्रतिदिन शाम ६ से ७ बजे तक स्थानीय समुदाय से ऐसी महिलाओं को स्टूडियो में आमंत्रित किया , जो समुदाय के लिए उदाहरण  हैं. जहाँ क्यारिया गाँव की वॉर्ड पंच, नवली कुमारी, अपने गाँव की इकलौती शिक्षित लड़की है. वहीं एक कॉलेज की छात्रा, खुशबू ने सभी को साहसी एवं निडर बनने को कहा, साथ साथ एक स्थानीय सरकारी कार्यालय में सहायक प्रबंधक के पद पर काम करने वाली सलीमा जी का मानना है कि  हर महिला के जीवन मे अध्यात्मिकता का संचार होना आवश्यक है.


  मुंगथला के सरकारी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाचर्या, क्रांति जी ने सभी को शिक्षा का महत्व बताते हुए, ज्ञान के दीपक जगाने का संदेश दिया. मोरथला की वॉर्ड पंच एंव महिला सहायक् संस्थान की प्रधान, लक्ष्मी जी और सुधा जी ने सभी को अपनी एक विशेष पहचान बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा की हर महिला को अपने अधिकारों से परिचित होना चाहिए तथा ज़रूरत पड़ने पर उनके लिए लड़ना भी चाहिए. जन चेतना  संस्थान से जुड़ी पुष्पा जी और चंद्रकान्ता जी का बाल्य काल मे ही विवाह कर् दिया गया था. आज ये दोनो, महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य से इस संस्थान से जुड़ी हैं. इन्होने आपबीती घटनाओं के मध्यम से सभी सुनने वालों को शिक्षा की ओर प्रेरित किया.

इसके अतिरिक्त, सास बहू की एक बेमिसाल जोड़ी है, मंजू जी और अनामिका जी. इन्होंने रेडियो के मध्यम से यही संदेश दिया कि एक महिला ही दूसरी महिला को समझ सकती है. इसलिए हमें मिलजुल कर सामंजस्य को कायम करना चाहिए. साथ ही 
ब्रह्मा कुमरीज़ की युरोपियन निदेशक, जयंती बहन जी ने सभी को जागरूक एंव सूचित रहने का संदेश देकर अध्यात्मिकता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया.